तारा तारिणी मंदिर, भारत की पूर्बी तटीय राज्य ओड़ीशा का ब्रह्मपुर सहर से 29 km दूर ऋषिकुल्या नदी के किनारे रहे पुण्यगिरी (रत्नागिरी / तारिणी पर्बत/ कुमारी पहाड़) के ऊपर स्थित माँ की प्रसिद्ध मंदिर हे।
यह भारत के 52 शक्ति पीठों से अन्यतम है और यहाँ सती के स्थन गिरने कि दाबा कीया जाता है। यहाँ माँ तारा और माँ तारिणी को आदि शक्ति के रूप में पूजा किया जाता है।
भारत में रहे हुए 52 शक्ति पीठों से 4 को तंत्र पीठ की मन्यता दिया जाता है। माँ तारा तारिणी इनहि 4 तंत्र पीठों में भी एक हैं।
पौराणिक ग्रंथों पहचान चार प्रमुख शक्ति पीठ, जो तंत्र पीठ का मान्यता रखे है वो इसी प्रकार रहे।
ब्रह्मपुर का माँ तारा तारिणी पीठ ( स्थन ),
पूरी जगन्नाथ मंदिर के परिसर पर रहे बिमला ( पाद ),
गुवाहाटी का कामाक्ष्या पीठ ( जोनि पीठ) और
कोलकाता का दक्षिण कालि ( मुख खंड ) ।
कालिका पुराण भी इस तथ्य को मान्यता देता है और इसमें वर्णित एक श्लोक में कहा गया है :
!! ‘बिमल़ा पादखंडनच,
स्तनखंडनच तारिणी,
कामाख्या योनिखंडनच,
मुखखंडनच कालिका
अंग प्रत्यंग संगेन विष्णुचक्र क्षेतेन्यच’ !!
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